एक बहु के नाम (दिल की कलम से)

                           आज रचना मैडम की सासू मां का देहांत को दो दिन हो गए, पिछले दो दिनों से इन दो सालों में जो मैने महसूस किया ( जबसे मैडम सम्यक परिवार का हिस्सा बनी) आज मैं दिल की कलम से बया करना चाहती हूं!!!

                             मेरा मानना है कि , किसी जिम्मेदारी को केवल निभाना , और उस जिम्मेदारी को सच्चे दिल से खुशी खुशी निभाना इन दोनों में काफी फर्क है, मैडम का वो रवैया,(जो तकरीबन पिछले 23 माहों से मैं देखती आ रहीं हूं)  हम सबको केवल यही सिखाता रहा  कि अपने कर्तव्य को बगैर नाक मुंह मोडे, बगैर अपनी भौहों को सिकोड़े ,बड़ी ही शांति, सरलता एवं प्रसन्नता से कितनी आसानी से बखूबी, उम्दा तरह से पार किया जा सकता हैं!!!

                          Hats off to you ma’am!!  एक पढ़ी लिखी कामकाजी महिला होने के बावजूद, बिना किसी अभिमान या गौरव के, अपनी वैयक्तिक जीवन को तो कई दिनों से दुय्यम स्थान पर रख कर, जिस सेवा भाव से आपने अपनी सासू मां को उनके जीवन के अंतिम क्षणों में संभाला, वो केवल सराहनीय ही नहीं, अपितु प्रेरणादायी भी हैं 🙏🙏🙏🙏,

                               कई बार ऐसा होता कि सम्यक में आते ही, घर से सासूमां के तबियत बिगड़ने का समाचार आता और मैडम उसी क्षण बिना विलंब किए घर की ओर रवाना होती, और उन्हें आवश्यक सहायता देकर फिर से सम्यक हाजिर हो जाती, घर के साथ साथ कामकाज को भी जिस योग्यता से आपने निभाया, आप मेरी नजर में work life balance की एक उत्तम परिभाषा हो….

                               आपके सिर पर दादी का आशीर्वाद सदा ही रहेगा , दादी ने निश्चय ही एक समाधान और आत्मविश्वास के साथ बिदाई ली है, जब जीवन के कम दिन बच जाते है तो सबका साथ और सांत्वन बेहद मायने रखता हैं, इस का आपने बिल्कुल ध्यान रखा!! We respect you for this madam from the bottom of our 💕

                 भगवन, दादी की आत्मा को शांति दे 🙏🙏🙏🙏

Dr. Rupali Karwa Choudhary, Psychiatrist
Samyak Rehabilitation Center, Pune

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