✍️ दिल की कलम से

Dr Rupali Karwa Choudhary writes
✍️ दिल की कलम से
वो बाट जोहती है हर शाम,
छोड़ कर सब काम झाम…
दिल में फिर आशा की किरण ने किया है मुकाम ✨

कहती है —
“मेरा बेटा आएगा 🙂
मेरा बेटा ज़रूर आएगा ☺️”

अपने हाथों से बनाकर दूंगी उसे गरमा गरम रोटी 🍪
जैसे बचपन में खाता था ना…
उसी चाव से खाएगा|

पर वो किस हाल में आएगा…
ये तो किसी को नहीं पता 😔

हे ईश्वर 🙏 भला क्या है,
उस दुखियारी मां की खता…….

चढ़ जाता है उसे नशा 🍾
जैसे ही शुरू होती है निशा 🌙

अब नहीं रही परवाह उसे किसी की,
क्योंकि भटक गई है उसके जीवन की दिशा………

पिछले हफ्ते जब वो आया था घर…
बज गए थे रात के साढ़े बारा 🕧

लग रहा था मानो किसी ने उसे है बेदम मारा…….

फटी हुई थी उसकी शर्ट…
हाल कुछ इस कदर बेहाल 😢

ऐसा लगा मानो धीरे धीरे हावी हो रहा है
उसपर एक भयावह काल………..

कुछ नहीं सूझ रहा था उसे…
अपने इर्द–गिर्द ही लगा रहा था वो चक्कर,

उसके पीछे पीछे आई थी पुलिस 🚓 भी
कह रही थी —
“अभी अभी मारकर आया है
सड़क पर खेलते बच्चे को गाड़ी से टक्कर…”

तकरीबन दो सालों से काम पर नहीं जा रहा वो,
इतने बड़े बिज़नेस में हुआ है भारी नुकसान,

मानो ले ली है शराब 🍺 ने
उसकी आत्मा, उसके अस्तित्व की जान……..

जब वो घर आता है तो
गालियों की बौछारों से सहम जाते हैं उसके बच्चे 😞

पैखाने की सुध नहीं उसे…
रोज धोती है उसकी बीवी उसके गंदे हुए कच्छे……..

कुछ ही महीनों पहले हुआ था
उसे पेटदर्द, बदहजमी और खून की उल्टियां,

Diagnose हुआ है —
liver cirrhosis
और फेल हो गई हैं किडनियां……..

कर रही है औरत उसकी
बेवा बनने का इंतज़ार…😰

भला इससे भी ज़्यादा
और क्या होगी बदकिस्मती की मार… 💔

Dr Rupali Karwa Choudhary
Psychiatrist, Pune

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